शनिवार, 18 फ़रवरी 2017

उत्तर प्रदेश की अभ्यर्थीयों को पत्र

देवियों एवं सज्जनों,
उत्तर प्रदेश के बारे में बहुत सारी बाते कहीं और सुनी गयी है ! अब चुनाव का मौसम है तो बाते निकलेंगी ही ! एक मुद्दा है जिसे अभी तक ना तो किसी पार्टी ने उठाया है ना किसी संगठन और ना ही मीडिया !

मुद्दा है सरकारी नौकरियों की लूट ! पिछले 5 वर्षों मे भर्तियाँ तो तमाम निकली मगर चुने कौन गये ! भर्तियाँ मे भ्रष्टाचार होता ही रहा है, लेकिन इस वर्तमान सरकार मे सारी हदें पार कर दी ! अपने लोगों को अधीनस्थ कर्मचारी चयन बोर्ड मे बैठा दिया और मनमानी करने लगे ! स्वीपर तक के पदों को बेचा गया ! वो तो शुक्र है कि उच्च न्यायालय बैठा है जिसने अभ्यर्थीयों की अपील पर कई चयनो को या तो स्टे कर रखा है या फिर उन्हें रद्द कर दिया है !
मैने भी उत्तर प्रदेश अधीनस्थ कर्मचारी चयन आयोग की कई परिक्षाएँ दी है ! संयोगवश पिछले साल उत्तर प्रदेश कोषागार मे सहायक लेखाकर की भर्ती मे लिखित परीक्षा मे पास हो गया था ! लिखित परीक्षा 180 अंकों की होती है और 20 अंक का साक्षात्कार !

सामान्य वर्ग की कट ऑफ 122 अंक की आई थी और मेरे 127 अंक थे ! साक्षात्कार के 20 अंक मे न्यूनतम 8 अंक देने ही थे प्रत्येक अभ्यर्थी को ! साक्षात्कार मे मुझसे 4 प्रश्न पूछे गये थे , साक्षात्कार करने वाले 3 व्यक्ति थे ! पहला प्रश्न पूछा कि बीजक और वाउचर क्या होता है ? दूसरा प्रश्न था भारत का वित्तमंत्री कौन है ? तीसरा प्रश्न था भारत के रक्षामंत्री कौन है ? और चौथा प्रश्न था कि भारत मे किसी बैंक मे शीर्ष महिला अधिकारी का नाम बताइए !

मैने पहले 3 प्रश्नो का उत्तर दिया ! चौथे प्रश्न मे फँस (प्रश्न पूछने वाले की दृष्टि मेंगया ! मैने बैंक की शीर्ष महिला अधिकारी का नाम बताया चंदा कोचर (ICICI BANK) , मगर साक्षात्कार कर्ता को अरुंधती भट्टाचार्य (SBI) का नाम जानना था ! और मुझे इसकी जानकारी नहीं थी !

खैर .. जब इसका रिज़ल्ट आया तो मुझे थोड़ी निराशा हुई और मैने सूचना के अधिकार के तहत जानकारी माँगी , लेकिन आयोग मे अपनी सुविधा के अनुसार वही जानकारी दी जिससे उनको कोई तकलीफ़ ना हो , और उन जानकारियों को साझा नही किया जिससे तकलीफ़ हो सकती थी !
RTI के प्रश्न


RTI के उत्तर



इसलिए हे उत्तर प्रदेश के विद्यार्थी गण कृपया वोट करते समय इस बात को ध्यान रखना कि आप अपने भविष्य की कुंजी किसको सौंप रहे हैं !


शुक्रवार, 7 अक्तूबर 2016

"अभिव्यक्ति की आज़ादी" पर रविश कुमार का दोहरा चरित्र

रविश कुमार जी, ग़ज़ब की काबिलियत है आपकी ! दूसरो को खूब बेवकूफ़ बनाते हो ! दरअसल ये समस्या सिर्फ़ आपकी ही नहीं बल्कि उस पूरे जमात की ही है जो "अभिव्यक्ति की आज़ादी" का भौंदा नारा लगते हैं ! आप लोग अपने इस नारे की आड़ मे सिर्फ़ और सिर्फ़ दूसरों को गली देने का काम करते हो ! जब भी कोई आपको उत्तर देना चाहेगा , कन्नी काट जाते हो, उसकी बात ही नहीं सुनना चाहते ! जो आप से , आपकी बातों से या आपके विचारों से सहमत नहीं है उन  सभी के बारे मे आप और आपके गैंग की सिर्फ़ एक ही सोच है कि "ये संघी हैं, भक्त है" आदि आदि ! ये बातें मैं इसलिए नहीं लिख रहा कि किसी ने मुझसे कुछ बताया है, बल्कि इसलिए लिख रहा हूँ कि यह मेरा व्यक्तिगत अनुभव है ! कुछ दिनो से आपके ब्लॉग नई सड़क पर जब भी कोई टिप्पणी करना चाहता हूँ तो एक सूचना दिखाई देती है "आपकी टिप्पणी को प्रकाशित नहीं कर सकते , क्योंकि आपको प्रतिबंधित कर दिया गया है टीम नई सड़क द्वारा"
Snap shot of Blog where comment banned



मुझे खूब याद है कि कभी भी मैने कोई ऐसे शब्द नहीं लिखे टिप्पणी मे जो अवांछित हो, अनर्गल हो ! बस आपके विचारों के पटापेक्ष मे अपने विचार ही लिखे हैं ! याद आता है कि जब आपने एम जे अकबर के मंत्री बन जाने पर आपने उनको एक खुला पत्र उन्हे लिखा था तो उसे लेख पर मैने भी आपसे कुछ सवाल पूछे थे मसलन जैसे कि अगस्टा वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर डील मे जिन पत्रकारों के नाम आए उनको आपने कब चिट्ठी लिखी, जिस पत्रकार का नाम नीरा रादिया टेप मे आया था उनको आपने कब चिट्ठि लिखी, जिन पत्रकारों को विजय मलया ने ललकारा कि मेरे ही पैसों पर मौज करने वाले पत्रकार मेरा ही अपने स्टूडियो मे एनकाउंटर कर रहे हैं तो उन पत्रकारों को आपने कब चिट्ठी लिखी, शायद आप उसी उत्तर से चिढ़ गये ! तो मेरा आपने अनुरोध है कि कृपया यह अभिव्यक्ति की आज़ादी के ढोंग वाला चोला उतार फेंको

गुरुवार, 8 सितंबर 2016

अभिसार शर्मा के नाम खुला पत्र

 अभिसार शर्मा जी(आमआदमी पार्टी के मुखपत्र पर लिखा अभिसार शर्मा का लेखतो मुद्दा यह है कि उस वीडियो की जब सक्रीनिंग आपके स्टूडियो मे हो रही थी तो क्या उस वीडियो को देखने वालों मे ऐसा कोई भी नहीं था जो उन संदेहास्पद चीज़ों पर गौर करता ! आख़िर खबर दिखाने की इतनी होड़ क्यों , पब्लिक को बेवकूफ़ बनाने के लिए ?  TRP के लिए ? या दिल्ली सरकार पर दबाव डालने के लिए ? और आप कदाचित् इन तीनो को ही हासिल कर लिए ! जनता को गुमराह किया और सरकार पर दबाव डलवाकर संदीप कुमार को बर्खास्त भी करवाने मे कामयाब हो गये ! लेकिन  उस IRS ऑफीसर जो की IIT पास आउट भी है , उनके निर्णय पर ज़रूर प्रश्न चिन्ह लगा देता है !

इस गंदगी के दाग केजरीवाल के हिस्से भी आई , इस कांड का खुलासा करने वाले ने यह भी बताया कि सीडी की जानकारी केजरीवाल को 15 दिन पहले ही हो गई थी तो शक होता है कि ने जानबूझकर सीडी की सत्यता की जाँच नहीं करवाई या फिर उन्होने भी यह मान लिया था कि संदीप कुमार सच मे अपराधी हैं ! केजरीवाल ने अंदर ही अंदर संदीप कुमार से ज़रूर स्पष्टीकरण माँगा होगा , लेकिन उन्हे यह भान नही रहा होगा कि इसे TRP की भूखी मीडीया मे भी दे दिया जाएगा ! और जब संदीप कुमार को अपराधी मान लिया गया तो आपको दर्शको पर ठीकरा फोड़ने की ज़रूरत नहीं है !

आपके न्यूज़ चैनल के खुलासे के बाद , संदीप कुमार की प्रतिक्रिया आने से पहले ही अरविंद केजरीवाल ने फ़ैसला सुना दिया और बा-कायदा वीडियो संदेश जारी करके कहा कि संदीप कुमार ने पूरे मूव्मेंट को शर्मसार किया अर्थात अपराधी घोषित किया (राम जाने किस मूव्मेंट की बात कर रहे थे क्योंकि इंडिया अगेन्स्ट करप्षन मूव्मेंट मे संदीप कुमार शामिल नहीं थे ) ! और संदीप कुमार ने अपने बयान मे अपनी तुच्छ राजनीति की झलक देते हुए सिर्फ़ इतना ही कहा कि मुझे एक दलित होने के नाते फँसाया जा रहा है ! लेकिन उन्होने इस सीडी के बारे मे बिल्कुल नहीं बताया उसमे दिखने वाला इंसान वो है या नहीं ! सिर्फ़ इतना कि एक दलित होने के नाते फँसाया जा रहा है !

इस फिल्म के संदीप कुमार के होने का दावा किया आपकी पत्रकार बिरादरी ने ! इन सबने मिलकर यह तस्दीक़ की कि ABP NEW जिसे सेक्स स्कॅंडल मान रहा है दरअसल वो Consensual sex था ! फिर इसमे आग मे घी डालने का काम किया उनकी ही पार्टी के प्रवक्ता आशुतोष ने ! उन्होने ही लोगो को बताया कि कैसे कोई आम आदमी से महात्मा बन सकता है , लोगों को यह समझाने की कोशिश की जिसे (कु) कृत्य समझ रहे हैं वो एक प्रक्रिया है कि परमानंद की, उसे हवस समझने की भूल ना करें !
 आपने अपने लेख मे एक सवाल उठाया कि :: सवाल ये भी उठ सकता है के पीड़ित महिला इस वीडियों के 
सार्वजनिक होने के बाद सामने क्यों आई? मगर ये सवाल बेमानी है, क्योंकि आप और हम अपने comfort 

zone से किसीबलात्कार पीड़ितकी मनोदशा पर टिपण्णी नहीं कर सकते। बशर्ते वो बलात्कार पीड़ित है।  

इसका उत्तर सिर्फ़ इतना ही हो सकता है उस महिला को शायद यह ज्ञांत ही ना हो कि ये भद्र पुरुष 

उसके शरीर के साथ साथ उसकी आत्मा के  साथ भी खिलवाड़ कर रहे हैं ! उसकी सहमति/ असहमति 

से इस कृत्य को फ़िल्माना भी अपने आप मे एक अपराध है ! और लोगों का क्या है कि लोग पूरी 

फिल्म को नहीं उसके किसी एकाध अच्छे डायलॉग को याद रखते हैं जैसा कि “केजरीवाल ने कहा था 

भविष्य मे कोई क्या करेगा किसी के माथे पर लिखा नहीं होता" और संदीप कुमार ने कहा था कि “घर 

से निकलते समय अपनी पत्नी के पाँव छूकर ही निकलते हैं” !

आपने के और सवाल पूछा कि "एक ब्लॉग लिखने पर आशुतोष को NCW ने समन क्यों भेजा, तो 

जवाब यह है मित्रवार, सिर्फ़ एक लेख लिखने मात्र से सुब्रमणियम स्वामी पर मुक़दमा कर दिया गया 

था, आपके लिए FREEDOM OF SPEECH के मायने कुछ हैं और किसी अन्य के लिए कुछ और, 

और शायद आप भूल गये कि सुप्रीम कोर्ट ने भी आज़म ख़ान के बयान (जो कि बुलंदशहर की घटना 


को राजनीतिक साजिस साबित करने पर तुले हुए थे ) को अभिव्यक्ति की आज़ादी नहीं बल्कि सीमा 

लांघना कहा था ! इसलिए जज बनने की कोशिश ना ही  करें तो सही है !



और हाँ , अंत मे एक और बात कहना चाहूँगा हर मुद्दे पर कहीं ना कहीं से मोदी को मीडिया ज़रूर घुसेड देती है, CM से PM बनाने मे सबसे बड़ा योगदान है मीडिया का ! ना मीडिया 12 वर्षों तक नरेंद्र मोदी का फर्जी एनकाउंटर करती ना ही पब्लिक की सहानुभूति मोदी के फेवर मे जाती ! इसलिए दर्शक और पाठको से सवाल पूछो ना कि उनपर सवाल खड़े करो !